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बुझती डूबती जीवन ज्योति अपनी जलाओ तुम।
जीवन ज्योति से दूर अंधकार भगाओ तुम।।
अंधकार में क्यों जीना है सीख लिया।
जीना है तो नया चिराग जलाओ तुम।।

चिराग में जलने परवानों को आना ही है।
परवानों को एक नई राह दिखाओ तुम।।
नई राह पर आने वाली मुश्किलों से न डरना।
मुश्किलों से लड़ खुद को फौलाद बनाओ तुम।।
फौलाद सी ताकत रगों में अपनी भर लो।
रगों में संग लहू के नया जोश बहाओ तुम।।
जोश के दम पर इस जहाँ को बदल दोगे।
इस जहाँ को अपने पीछे चलाओ तुम।।
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ग़ज़ल के पैमाने के बारे में बहुत ज्ञान नहीं है, हो सकता है कि ये तुकबंदी सी लगे पर बोल्ड किये गए शब्दों पर विशेष ध्यान देते हुए पढियेगा तो इस रचना के बारे में कुछ अंदाज़ लग सके।
गलतियों पर विशेष निगाह चाहते हैं।
गलतियों पर विशेष निगाह चाहते हैं।
चित्र गूगल छवियों से साभार
अरे जनाब बहुत अच्छा लिखा है क्या शब्द निकालकर उनका विस्तार किया है
ReplyDeletebahut sundar sir ji,
ReplyDeleteshabdon ka sundar prayog.
Rakesh Kumar
bahut sundar sir ji,
ReplyDeleteBold karke shabdon ka sahi arth samajh aaya.
Rakesh Kumar