कविता - जीवन जीने को आया हूँ
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(ये हैं हमारे स्टायलिश भांजे)
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फिर जिन्दा होकर लौटा हूँ, मैं आज तुम्हारी नगरी में।
जीवन जीने को आया हूँ, मैं आज तुम्हारी नगरी में।।
अपनों को जाते देखा है,
गैरों को आते देखा है,
दुःख की तपती धूप है देखी,
सुख का सावन देखा है,
सतरंगी मौसम लाया हूँ, मैं आज तुम्हारी नगरी में।
जीवन जीने को आया हूँ, मैं आज तुम्हारी नगरी में।।
जीवन से जो जीत गया,
मौत को उसने जीता है,
कर्म हो जिसका मूल-मंत्र,
वह जीवन-पथ पर जीता है,
जीवन-विजय सिखाने आया हूँ, मैं आज तुम्हारी नगरी में।
जीवन जीने को आया हूँ, मैं आज तुम्हारी नगरी में।।
जीते कभी समुन्दर से,
कभी एक बूँद से हार गये,
उड़े आसमां छूने को,
पहुँच आसमां पार गये,
चाँद-सितारे लाया हूँ, मैं आज तुम्हारी नगरी में।
जीवन जीने को आया हूँ, मैं आज तुम्हारी नगरी में।।
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फिर जिन्दा होकर लौटा हूँ, मैं आज तुम्हारी नगरी में।
जीवन जीने को आया हूँ, मैं आज तुम्हारी नगरी में।।
अपनों को जाते देखा है,
गैरों को आते देखा है,
दुःख की तपती धूप है देखी,
सुख का सावन देखा है,
सतरंगी मौसम लाया हूँ, मैं आज तुम्हारी नगरी में।
जीवन जीने को आया हूँ, मैं आज तुम्हारी नगरी में।।
जीवन से जो जीत गया,
मौत को उसने जीता है,
कर्म हो जिसका मूल-मंत्र,
वह जीवन-पथ पर जीता है,
जीवन-विजय सिखाने आया हूँ, मैं आज तुम्हारी नगरी में।
जीवन जीने को आया हूँ, मैं आज तुम्हारी नगरी में।।
जीते कभी समुन्दर से,
कभी एक बूँद से हार गये,
उड़े आसमां छूने को,
पहुँच आसमां पार गये,
चाँद-सितारे लाया हूँ, मैं आज तुम्हारी नगरी में।
जीवन जीने को आया हूँ, मैं आज तुम्हारी नगरी में।।
sunder kavita.
ReplyDeleteजीवन से जो जीत गया,
ReplyDeleteमौत को उसने जीता है,
कर्म हो जिसका मूल-मंत्र,
वह जीवन-पथ पर जीता है,
कितना सुन्दर जीवन सन्देश है
शानदार रचना
बेहद उम्दा रचना।
ReplyDeleteकल (26/7/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट देखियेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
क्या बात है एकदम गज़ब कर दिए. बहुत ही सुन्दर बहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteक्या बात है एकदम गज़ब कर दिए. बहुत ही सुन्दर बहुत ही सुन्दर
ReplyDeletebahut sundar hai
ReplyDeletebahut sundar hai
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