चलो फ़िर हलचल मची है शहर मे
कोई कुछ सुना गया है शहर मे
ये आवाज़ कुछ अलग सी है
दिल मे एक दर्द जगाती सी है
इसके साये मे कुछ छिपा सा है
इसमे एक महक भरी सी है
क्यों इसके साथ कोई झूमता नहीं है
क्यों कोई इस आवाज़ पर थिरकता नहीं है
देखो ध्यान से, सुनो गौर से,
इस आवाज़ मे धमक सी है
कहीं बम जैसी कहीं चीख जैसी
तुम्ही बताओ इस आवाज़ पर झूमे कौन?
तुम्ही बताओ इस आवाज़ पर थिरके कौन?
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